पुस्तक - भारत का भूगोल मुख्य रूप से प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए लिखी गयी है। प्रमुख शीर्षक ने अपने 9 वें संस्करण में प्रवेश कर एक नियमावली स्थापित की है और अपने खंड में एक उत्कृष्ट बिक्रीवाली पुस्तक बनी हुई है। यह एक व्यापक रूप से पढ़ी जाने वाली सन्दर्भ पुस्तक है,जो व्यवस्थित एवं व्यापक तरीके से भारत के भौगोलोक परिदृश्य के प्रासंगिक विषयों से संबंधित है। यह पुस्तक प्रतियोगी परीक्षार्थियों के अतिरिक्त स्नातक एवं स्नातकोत्तर तथा शोधकर्ताओं एवं शिक्षाविदों के द्वारा भी तेजी से उपयोग में लायी जा रही है।मुख्य विशेषताएं: यूपीएससी के नवीन पाठ्यक्रम पर आधारित,सैद्धांतिक अवधारणाओं में मजबूत,मूल मानचित्रों एवं आरेखों के साथ संशोधित एवं परिवर्द्धित जम्मू और कश्मीर,लद्दाख,अम्फान चक्रवात, विज़ाग गैस रिसाव, कोविड 19, टिड्डी आक्रमण आदि विभिन्न विषयों का विस्तृत विवरण भूविभिन्नता, भू-पर्यटन, जीवाश्म पार्क और भूवैज्ञानिक विरासत स्थल तथा राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारक से संबंधित विभिन्न विषयवस्तु महाद्वीपीय प्लेट के बड़े भूभाग और भारतीय मरुस्थल के विस्तृत शीर्षक को समाहित किया गया है भारत में मृदा ह्रास पर विश्लेषण के साथ सरकार द्वारा योजनाओं और परियोजनाओं के साथ भूमि क्षरण और मिट्टी में सुधार को शामिल किया गया है राष्ट्रीय नई खनिज नीति 2019 और डेयरी वृद्धि की सरकारी नीतियां नवीकरणीय ऊर्जा और तेल उद्योग, विद्युत् क्षेत्र में सरकार की पहल एवं कच्चे तेल के उत्पादन को समाहित किया गया है भारत में सामान्य भूमि उपभोग, बंजर भूमि,अवनति भूमि, कृषि नीति, भूमि सुधार, कृषि क्षेत्र में स्थित सरकारी योजनाएं, कृषि में नवप्रवर्तन तथा भारत के विभिन्न बागवानी फसलों के उत्पादन हिस्सों को अत्यंत अद्यतन बनाया गया है वस्त्र विकास के लिए सरकारी पहल,राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017,उर्वरक उद्योग एवं दवा की विविध विषयवस्तु को अद्यतन बनाया गया है सड़क मार्ग, जहाज रीसाइक्लिंग,हवाई यातायात तथा यातायात दुर्घटनाओं समझौते एवं परियोजनाओं का विवेचन एकीकृत जल संग्रहणीय प्रबंधन कार्यक्रम (iwmp) तथा परियोजना चरण III में मेट्रो का नवीन विस्तार</.
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प्रो. माजिद हुसैन का जन्म 2 जुलाई, 1938, को बन्हेरा टांडा (जिला हरिद्वार) में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मंगलौर के नेहरू इंटर कॉलेज से पूरी की। उन्होंने अपना M.A. (स्वर्ण पदक विजेता), LL.B. और Ph.D. अलीगढ़ के स्वानसी विश्वविद्यालय से और उच्च शिक्षा स्वानसी (वेल्स) और स्कूल ऑफ ओरिएंटल और अफ्रीकी अध्ययन, लंदन, से पूरी की। प्रो. हुसैन 2003 में जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली, से भूगोल के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष के पद से सेवानिवृत्त हुए। विशेषज्ञ होने के नाते उनमें भूगोल में कठिन अवधारणाओं को सरल, आकर्षक और गूढ़ शैली में समझाने की क्षमता थी, उन्होंने लगभग चार दर्जन से अधिक पुस्तकों का लेखन और संपादन किया। माजिद हुसैन अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के भारतीय भूगोलवेत्ता थे और कई प्रकाशनों, कई विश्वविद्यालयों में शोध कार्य और अध्यापनके माध्यम से उन्हें भूगोल में उनके अपार योगदान के लिए जाना जाता था। उनकी अनूठी शिक्षण शैली ने छात्रों को सबसे जटिल विषयों को आत्मसात करने में भी मदद की। उन्होंने वैकल्पिक हेतु भूगोल का पूरा मॉड्यूल, प्रारंभिक सिविल सेवा परीक्षा हेतु भूगोल के, पर्यावरण और पारिस्थितिकी तथा व्यक्तित्व परीक्षण के लिए अपने छात्रों को प्रशिक्षण दिया। उनके द्वारा पढ़ाए गए कई छात्र IAS, IPS, IFS और अन्य विशिष्ट सेवाओं में कार्यरत हैं। उनकी विशेषज्ञता केवल शोध और शिक्षण तक ही सीमित नहीं थी, अपितु उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा और अन्य प्रतिस्पर्धी के लिए अनेक प्रकाशन और उपयोगी पुस्तकें लिखीं। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकों को पाठ्यपुस्तक के रूप में पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में पढ़ाया जाता है। उनके द्वारा लिखित सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों में से कुछ पुस्तकें हैं भारत का भूगोल, विश्व भूगोल, भूगोल: 3000 नियम और अवधारणाएं, भारत एवं विश्व का भूगोल, पर्यावरण और पारिस्थितिकी एवं जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन, मानवी भूगोल, भौगोलिक विचार का विकास, जनसंख्या भूगोल (परिप्रेक्ष्य), व्यवस्थित कृषि भूगोल, जैव-भूगोल (भौतिक भूगोल में परिप्रेक्ष्य)। प्रो. माजिद हुसैन को हमेशा भारत के एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद् के रूप में याद किया जाएगा।.